विश्व में प्रचलित खेती के कुछ विशेष प्रकार

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( 1 ) स्थानान्तरणशील कृषि ( Shifting Cultivation) - इसे झूमिंग कृषि भी कहते है यह मानव की आदम अवस्था की सूचक कृषि है । इसमें सबसे पहले वन के किसी खण्ड को साफ करके वृक्षों तथा झाड़ियों को जला दिया जाता है उसके बाद कुछ वर्षों तक इस स्थान पर कृषि की जाती है । भूमि की उर्वरता समाप्त हो जाने पर उसे छोड़कर किसी दूसरी जगह पर यही क्रिया की जाती है । इसीलिए , इसे " काटना और जलाना " अथवा " बुश फेलो " कृषि कहा जाता है । इसमें खेतों का आकार काफी छोटा होता है । एक साथ ही कई फसलों की कृषि की जाती है । विश्व के उष्णकटिबन्धीय एवं उपोष्ण कटिबन्धीय जंगली भागों में इस प्रकार की कृषि अनुकूूूलता से की जा रही है ।  
(2)स्थानबद्ध कृषि ( Placement Agriculture ) - यह कृषि स्थानान्तरणशील कृषि के सके परिवार द्वारा मिल - जुल कर कृषि कार्य किया जाता है । विश्व में इस प्रकार की कृषि का धिक प्रचलन है । इसमे फसलों को हेर - फेर कर बोया जाता है , जिससे भूमि की उर्वरता 
( 3 ) जीविका कृषि ( Subsistence Farming ) - खेती करने वाले परिवार की मात्र आजीविका भर की फसलें उगाने वाली कृषि को जीविका कृषि का नाम दिया जाता है । यह कृषि स्थानान्तरणशील अथवा स्थानबद्ध दोनों प्रकार की हो सकती है । विशेष रूप से जब तक कृषि का मुख्य उद्देश्य उत्पादन किसी उत्पादक विशेष की निजी आवश्यकताओं की पूर्ति तक ही सीमित रहता है तब तक हर प्रकार की कृषि जीविका कृषि के अन्तर्गत ही आती है । इस प्रकार को कृषि में तीव्रगति से बढ़ती जनसंख्या के भोजन की आपूर्ति के लिए खाद्य फसलों की प्रमुखता रहती है । इसके प्रमुख क्षेत्र चीन , जापान , कोरिया , भारत , बांग्लादेश , थाईलैण्ड , श्रीलंका , मलेशिया , फिलिपीन्स आदि है । भारत में प्राय: इसी प्रकार की कृषि की जा रही है ।
  ( 4 ) व्यापारिक रोपण कृषि ( Commercial Plantation Agriculture ) - यह एक प्रकार की पूर्णत : व्यापारिक उद्देश्यों से की जाने वाली कृषि है , जिसमें नगदी फसलों का उत्पादन किया जाता है । इसके अन्तर्गत बड़े - बड़े फार्मों की स्थापना करके उद्योगों की भांति किसी एक ही फसल विशेष की कृषि की जाती है। इसकी प्रमुख फसलें है रबर , कोको , नारियल , कहवा , चाय , पटसन , हैम्प , कपास , अनन्नास , केला , गन्ना आदि । इस प्रकार की कृषि का विस्तार एशिया , अफ्रीका एवं अमेरिका के उष्ण एवं उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों तक सीमित है । 
( 5 ) डेरी फार्मिंग ( Dairy Farming ) - यह एक प्रकार की विशिष्ट कृषि है जिसमें दूध देने वाले पशुओं के प्रजनन एवं उनके पालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसमें विशेष रूप से गाय पाली जाती है , जिनके दूध एवम् दुग्ध पदार्थों का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया जाता । यूरोप के अनेक देशों जैसे ब्रिटेन , आयरलैण्ड , बेल्जियम , डेनमार्क , नीदरलैण्ड , स्विटजरलैण्ड , फ्रांस आदि , उत्तरी अमेरिका में विशाल झीलों का समीपवर्ती क्षेत्र , दक्षिण - पूर्ण आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में डेरी फार्मिग काफी विस्तृत पैमाने पर की जाती है । भारत में भी पंजाब तथा हरियाण में गाय व भैसों के डेरी फार्म है।
  ( 6 ) टूक फार्मिग एवं उद्यान कृषि ( Truck Farming and Specialized Horticulture ) - यह भी व्यापारिक स्तर पर की जाने वाली सब्जियों एवं फलों - फूलों की कृषि है , जिसके परिवहन में ट्रकों का अधिक उपयोग किए जाने के कारण इसे ट्रक फार्मिग कहा जाता है । इस प्रकार की कृषि का विकास विश्व के औद्योगिक क्षेत्रों के समीपवर्ती भागों में हुआ है , जहाँ से उत्पादों की नियमित आपूर्ति की जाती है । अमेरिका का उत्तरी - पूर्वी भाग , इग्लैण्ड , फ्रांस , डेनमार्क आदि इसके प्रमुख क्षेत्र है ।
 ( 7 ) विटीकल्चर ( Viticulture ) - व्यापारिक स्तर पर अंगूर उत्पादन की कृषि     
               
 ( 8 ) पीसीकल्चर ( Viticulture ) अथवा जल कृषि अथवा अक्वाकल्चर द्वारा व्यापारिक स्तर पर की जाने वाली कृषि ( Aquaculture ) - मछली पालन तथा अन्य समुद्री खाद्य पदार्थों का उत्पादन वैज्ञानिक विधियों द्वारा व्यापारिक स्तर पर की जाने 
वाली कृषि
( 9 ) सीरीकल्चर (Sericulture ) - व्यापारिक स्तर पर रेशम उत्पादन की क्रियाएं जिसमें रेशम के कीड़ों का व्यावसायिक स्तर पर पालन तथा शहतूज आदि की कृषि भी सम्मिलित है । 
( 10 ) हार्टीकल्चर ( Horticulture ) - व्यापारिक स्तर पर किया जाने वाला विभिन प्रकार के फलों का उत्पादन ।  
 ( 11 ) आरबरीकल्चर ( Arboriculture ) - विशेष प्रकार के वृक्षों तथा झाड़ियों की कृषि जिसमें उनका एवं सम्वर्द्धन भी शामिल है
  ( 12 ) एपीकल्चर ( Apiculture ) - व्यापारिक स्तर पर शहद उत्पादन हेतु किए जाने वाले मधुमक्खी या मौनपालन का कार्य ।
  ( 13 ) फ्लोरीकल्चर ( Floriculture ) - व्यापारिक स्तर पर की जाने वाली फूलों की कृषि । 
( 14 ) सिल्वीकल्चर ( Silviculture ) – वनों के संरक्षण एवं सम्वर्द्धन से सम्बन्धि कृषि ।
( 15 ) नोमॅरीकल्चर ( Nomoriculture ) - यह आदिम व्यवस्था की कृषि है , जिसमें मनुष्य द्वारा जंगलों में फल , जड़ी बूटी आदि का संग्रह किया जाता है । 
( 16 ) आलेरीकल्चर ( Olericulture ) - जमीन पर फैलने वाली सब्जियों की व्यापारिक कृषि इसके अन्तर्गत आती है । 
( 17 ) मेरीकल्चर ( Mericulture ) - व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समुद्री जीवों के उत्पादन की क्रिया । 
( 18 ) हॉर्सीकल्चर अथवा अश्वपालन (Horsiculture) - सवारी एवं यातायात के लि उन्नत प्रजाति के घोड़ों एवं खच्चरों के व्यापारिक स्तर पर पालने सम्बन्धी कृषि ।

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