चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के वैज्ञानिकों ने गेहूं , सरसों और अलसी की नई प्रजातियां विकसित की

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चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के वैज्ञानिकों ने गेहूं , सरसों और अलसी की नई प्रजातियां विकसित की 

गेहूं- सरसों की कम समय में होगी अच्छी पैदावार चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 
गेहूं , सरसों और अलसी की नई प्रजातियां विकसित की हैं । 
नई प्रजातियाँ फसल को रोगों से बचाने के साथ - साथ प्रदेश की जलवायु के अनुकूल हैं जो कम समय में 
अच्छी पैदावार देगी । 


कुलपति डॉ . डीआर सिंह ने बताया कि इन प्रजातियों के विकसित होने से किसानों को मुनाफा ज्यादा होगा ।
 गेहूं की के - 1711 , सरसों की केएमआरएल 15 - 6 
( आजाद गौरव ) और अलसी की एलसीके 1516 
( आजाद  प्रज्ञा ) प्रजाति विकसित की गई हैं । ये प्रजातियां कम समय में अच्छी पैदावार देंगी प्रदेश में इन प्रजातियों को बोने के लिए राज्य बीज विमोचन समिति लखनऊ ने 
मान्यता दे दी है । 

देरी से बोई जा सकेंगी आजाद गौरव प्रजाति सरसों को आजाद गौरव प्रजाति को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ . महक सिंह ने बताया कि इस प्रजाति की अति विलंब की दशा में
 ( 20  नवंबर से 30 नवंबर ) तक बुआई की जा सकती है । यह 120 से 125 दिनों में पककर तैयार होती है उत्पादन क्षमता 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 39 रोगों का प्रकोप अन्य प्रजातियों की से 40 प्रतिशत है । इसमें कीड़े और अपेक्षा कम होता है।

 ऊसर भूमि पर लहलहाएगी के 1711 प्रजाति गेहूं की इस प्रजाति को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ . सोमबीर सिंह ने बताया कि प्रदेश के ऊसर प्रभावित क्षेत्रों के लिए यह प्रजाति तैयार की गई है इसका उत्पादन 38 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है । यह प्रजाति 125 से 129 दिनों में पककर तैयार हो जाती है । इसमें प्रोटीन 13 से 14 प्रतिशत पाया जाता है जो अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक है । प्रजाति में रस्ट और पत्ती झुलसा रोग भी नहीं लगता है 128 दिनों में तैयार हो जाती है

आज़ाद प्रज्ञा अलसी की इस प्रजाति को विकसित करने वाली वैज्ञानिक डॉ . नलिनी तिवारी ने बताया कि प्रदेश के सिंचित क्षेत्रों के लिए यह प्रजाति विकसित की गई है इसकी उपज 20 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और 128 दिनों में पककर तैयार हो जाती है । तेल की मात्रा 35 प्रतिशत है जो अन्य की तुलना में 11.22 प्रतिशत अधिक है । यह प्रजाति रोग और कीटों के प्रति सहनशील है ।
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