Collective Farming

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सामूहिक खेती ( Collective Farming )- इस प्रणाली के अन्दर कृषि जोतों का एकत्रीकरण कर दिया जाता है । भूमि का स्वामित्व संपूर्ण समाज में निहित होता है । भूमि के साथ - साथ प्रत्येक व्यक्ति को पशु , कृषि औजार आदि के अधिकार से भी अलग हो जाना पड़ता है और यह भी सम्पूर्ण समाज की सम्पत्ति हो जाती है । सामूहिक फार्म के सदस्यों के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है जन्म और उत्तराधिकार के कारण सदस्यों में कोई भेदभाव नहीं समझा जाता है। सामूहिक खेती करने वाले सदस्य मिलकर एक प्रबन्ध समिति का निर्वाचन करते हैं । इस प्रबन्ध समिति के निर्देशन में सदस्य मिल - जुलकर फार्म पर कार्य करते है सदस्यों को श्रमिक वर्ग ( Brigade ) में बाँट दिया जाता है । प्रत्येक वर्ग का नेता चुन दिया जाता है । श्रमिकों द्वारा किए गए काम का निरीक्षण वर्ग का नेता करता है । श्रमिकों को काम के दिन की इकाइयों के अनुसार पारिश्रमिक मिलता है । फार्म सम्बन्धी प्रत्येक कार्य के लिए प्रतिदिन के काम का एक निश्चित कोटा तय कर दिया जाता है और इसी कोटे के अनुसार कार्य - दिन की इकाइयों का निर्धारण काम की मात्रा तथा गुण के आधार पर होता है । इस प्रकार की खेती रुस , एवं अन्य साम्यवादी देशों में की जाती है । प्रत्येक सामूहिक फार्म के उपज की एक निश्चित मात्रा , जोकि उपज की मात्रा के आधार पर निर्धारित की जाती है , पहले से ही घोषित मूल्य पर सरकार को देनी पड़ती है । सामूहिक फार्म का सदस्य बनने के लिए किसी को भी जो वैधानिक आवश्यकताएं पूरी करता है मना नहीं किया जा सकता । इस प्रकार की प्रणाली के तीन मुख्य स्वरूप है  -  
                         ( अ ) टोज ( Toz ) - इस तरह की खेती में सदस्यगण कुछ कार्यों को आपस में मिलकर करते हैं , जैसे बीज की बुआई , खेती की जुताई और फसलों की कटाई इत्यादि , जोत सबकी अलग - अलग रहती है तथा लाभ का वितरण भूमि के आधार पर किया जाता है । 
                         ( ब ) खोलखोज ( Kholkhoz ) - इसमें पैदावार के सभी संसाधनों जैसे भूमि , श्रम , मशीन , औजार , पशु व फार्म की इमारतों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाता है । किन्तु साथ ही सदस्यों को अपने निजी बगीचे , सब्जी के लिए भूमि , मकान व मुर्गी आदि रखने की भी छूट रहती है । 

फार्म को जितनी पूँजी की , जैसे घोड़ों , गायों , हलों व दूसरे औजारों के रूप में आवश्यकता पड़ती है , वे सब सदस्य स्वयं ही एकत्र करते हैं , राज्य केवल मशीन और ऋण के रूप में सहायता देता है ।                                 ( स ) कोम्यून ( Commune ) - इस प्रकार की खेती में उत्पादन का ही नहीं वरन् वितरण का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया जाता है । कोम्यून के सदस्य अपनी भूमि व सम्पत्ति को एक जगह मिला लेते है । लाभ का बंटवारा काम की मात्रा पर नहीं वरन् सदस्यों की आवश्यकतानुसार किया जाता है ।

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