एडम्स ने विशिष्ट खेती की परिभाषा देते हुए लिखा है कि , " विशिष्ट खेती से अभिप्राय उन जोतों से है जो अपनी कुल आय का कम से कम 50 प्रतिशत किसी एक उद्यम अथवा फसल से प्राप्त करें । "
विशिष्ट खेती के लाभ अथवा गुण-
कम पूँजी की आवश्यकता - खेती शुरु करने के लिए थोड़े धन की आवश्यकता पड़ती है ।
उपज की बिक्री में सुविधा - साधारणतया एक ही प्रकार की उपज पैदा की जाती है अत : उस उपज की बिक्री में सुविधा रहती है ।
विशेष यन्त्रों का प्रयोग सम्भव - इस प्रकार की खेती में कम तथा विशेष प्रकार के यन्त्रों की आवश्यकता होती है । अत : आधुनिक यन्त्रो और आधुनिक तरीकों का उपयोग हो सकता है ।
पूंजी की बचत - विशेष प्रकार के तथा कम यन्त्रों की आवश्यकता से लागत कम आती है ।
फार्म के प्रबन्ध में सुविधा सम्पूर्ण फार्म पर एक ही प्रकार की खेती होने से उसकी देखभाल तथा प्रबन्ध करना सरल हो जाता है ।
श्रम की कार्यकुशलता में वृद्धि - एक ही प्रकार की फसले बोने से कम श्रम की आवश्यकता होती है और एक ही तरह का कार्य करने से श्रम की कुशलता में वृद्धि होती है और उत्पादन व्यय में कमी आती है ।
उत्पादन की आधुनिक विधियों का प्रयोग - फसलों की संख्या कम होने के कारण खेती के उन्नतिशील तरीके आसानी से अपनाए जा सकते है ।
भूमि का उत्तम उपयोग - जो भूमि जिस फसल के लिए अधिक उपयुक्त होती है | उस पर वही फसल उगाई जाती है , जैसे काली मिट्टी के क्षेत्र में कपास सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है ।
विशिष्ट खेती की हानि अथवा दोष -
संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है - उत्पत्ति के संसाधनों , भूमि , श्रम , पूँजी का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है ।।
आय की मात्रा सीमित रहती है - इस प्रकार की खेती में वर्ष में केवल एक या दो बार ही आय प्राप्त होती है ।।
हानि की सम्भावना बढ़ जाती है - एक ही प्रकार की फसल यदि किसी कारणवश नष्ट हो जाती है अथवा कीमत गिर जाती है , तो किसान को अधिक हानि हो सकती है ।।
उप - पदार्थों की हानि - फसल से अथवा मवेशियों से मिलने वाले उप - पदार्थो ( Bye - products ) का सही उपयोग नहीं हो पाता ।
भूमि की उत्पादन शक्ति का हास - ऐसे फार्मों पर एक ही प्रकार की फसल उगाए जाते रहने से कृषक या प्रबन्धक का ज्ञान संकुचित रह जाता है और कृषि के अन्य व्यवसायों का ज्ञान नहीं हो पाता ।
Good
जवाब देंहटाएंThank you sir
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