Diversified farming

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बहुप्रकारीय खेती से अभिप्राय उस प्रकार की जोतों या फार्मों से है जिन पर आमदनी के स्रोत कई उद्यमों या फसलों पर निर्भर करते हैं और प्रत्येक उद्यम अथवा फसल से जोत की कुल आमदनी का 50 प्रतिशत से कम ही भाग प्राप्त होता है । अर्थात् जिस फार्म पर कुल आमदनी के कई स्रोत हों तथा प्रत्येक स्रोत से कुल आमदनी का 50 % या इससे अधिक न मिलता हो उसे बहुप्रकारीय खेती कहते हैं । ऐसे फार्म की विविध फार्म ( general farm ) भी कहते हैं । कृषि के वैश्वीकरण एवं अन्तराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के अन्तर्गत अब हमारे देश की आवश्यकता खेती के विविधीकरण की है , जिसमें धान और गेहूँ उपजाने के साथ - साथ किसानों को फल , फूल और सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर करनी चाहिए ।

.                       चित्र :    आय के स्रोत

बहुप्रकारीय खेती के लाभ अथवा गुण -
( 1 ) भूमि की उपजाऊ शक्ति की सुरक्षा - इस प्रकार की खेती में फसलों का समुचित हेर - फेर कर लिया जाता है , जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है । 
( 2 ) जोखिम कम - क्योकि इस प्रकार की खेती में कई प्रकार की फसलें उगाई जाती है , इसलिए जोखिम एवं हानि का डर कम रहता है । 
( 3 ) संसाधनों का समुचित उपयोग - उत्पादन के संसाधानों , भूमि , श्रम व पूँजी का पूर्ण एवं उचित उपयोग सम्भव है और साधन बेकार नहीं पड़ा रहता ।  
 ( 4 ) उप - पदार्थों कर उचित उपयोग - विभिन्न फसलों तथा मवेशियों से प्राप्त उप - पदार्थों का सही उपयोग हो जाता है । 
( 5 ) आय में निरन्तरता - अनेक फसलों और धन्धों के होने से वर्ष भर लगातार और अधिक आय प्राप्त होती है।
 ( 6 ) अधिक व्यक्तियों को सहारा - इस प्रकार की खेती में अनेक प्रकार के धन्धे होने के कारण अधिक लोगों को काम मिल जाता है ।
 ( 7 ) अधिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर - कृषि सम्बन्धी अनेक क्रियाओं के विषयों में अधिक विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है ।

बहुप्रकारीय खेती की हानि अथवा दोष - 
( 1 ) आधुनिक कृषि यन्त्रों के प्रयोग में कठिनाई - विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने एवं सहायक धन्धों के करने के लिए , विभिन्न प्रकार के कृषि यन्त्री एवं संसाधनों का जुटाना सम्भव नहीं हो पाता और यदि जुटा भी लिए जाएँ तो उनका पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है ।  
 ( 2 ) उपज के विपणन में कठिनाई - थोड़ी - थोड़ी मात्रा में बहुत - सी वस्तुओं का उत्पादन होने के कारण उनका विपणन में कठिनाई आती है । 
( 3 ) श्रम की अधिक आवश्यकता - बहुत - सी फसलें एक साथ उगाई जाने के कारण श्रम की एक ही समय में अधिक आवश्यकता हो जाती है और सब कार्य ठीक प्रकार से सम्पन्न करना सम्भव नहीं हो पाता । 
( 4 ) कार्यकुशलता का ह्रास - भिन्न - भिन्न प्रकार के कार्य एक साथ करने से श्रमिक की कार्यकुशलता पर बुरा प्रभाव पड़ता है । 
( 5 ) प्रबन्ध में कठिनाई - फार्म पर सभी धन्धों की देखभाल एवं प्रबन्ध करने में कठिनाई आती है । 
( 6 ) अवकाश की सम्भावना कम - इस प्रकार की खेती में कई प्रकार के कार्य करने पड़ते है । और अवकाश नहीं मिल पाता है , जिससे किसान की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है ।

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