बाजरा की खेती

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बाजरा ( Pearlmillet ) 
वानस्पतिक नामः पेन्निसेटम टाइफोइड्स 
( Pennisetum typhoides )


👉 अधिकाँश वैज्ञानिक बाजरे का उत्पत्ति स्थान अफ्रीका ( Africa ) मानते हैं । 
👉 बाजरे की कुल 32 स्पेसीज हैं जिनमें से 30 स्पेसीज अफ्रीका में पायी जाती हैं ।
 👉 बाजरा की फसल को Tropical जलवायु में प्रमुख रूप से उगाते हैं । 
👉 भारत के कुछ अधिक वर्षा वाले भागों जैसे असम , पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा को छोड़कर समस्त प्रदेशों में बाजरा की खेती की जाती है । 
👉 बाजरा के कुल क्षेत्रफल का लगभग 90 % क्षेत्रफल राजस्थान , महाराष्ट्र , गुजरात , उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा प्रान्तों में है । 
👉 कुल उत्पादन का लगभग 87 % उत्पादन केवल राजस्थान , महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश , गुजरात एवं हरियाणा से प्राप्त होता है । 
👉 ज्वार की अपेक्षा बाजरा अधिक सूखा सहन करने की क्षमता रखता है । वानस्पतिक रूप से बाजरा की फसल में अधिकाँशतया पर - परागण
 ( Cross pollination ) होता है ।
👉 बाजरा एक कैरिओप्सिस ( Caryopsis ) प्रकार का फल है । 
👉 बाजरे के भण्डारण के लिए दाने में 12-14 % नमी होनी चाहिए । 
👉 बाजरा की ' मालबन्द्रो ' किस्म महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है। 👉 बाजरे के हरित बाली रोग का स्थानीय नाम ' बाबा रोग ' या ' गोगिया रोग ' अथवा ' काडिया रोग ' भी है । 
👉 बाजरे के बीज का उपचार जैव उर्वरक जैसे एजोस्पीरिलियम ब्रैसीलैन्स अथवा एजोटोबैक्टर क्रोकोकम या एजोबैक्टीरीलम लीपोफेरस के साथ करने पर केवल 20 कि ० ग्रा ० N / हे ० बुआई के समय देनी चाहिए । इससे 10-25 % तक उपज में वृद्धि हो जाती 
है । 
👉 जिन क्षेत्रों में वर्षा देर से होती है वहाँ पर बाजरे की बुआई विलम्ब से करनी चाहिए । 
 👉 NHB - 5 , PHB - 10 तथा PHB - 14 बाजरे की हरित बाली रोग प्रतिरोधी किस्में हैं ।
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