व्यक्तिगत या काश्तकारी खेती(Individual or Peasant Farming)

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 इस प्रकार की काश्ताकारी खेती को कृषक स्वामित्व खेती के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है । इस प्रणाली के अन्दर किसान का राज्य से सीधा सम्बन्ध होता है । वह स्वयं भूमि का मालिक होता है और उसको स्थायी , पैतृक , हस्तान्तरण के अधिकार प्राप्त होते हैं तथा वह निर्धारित मालगुजारी राज्य सरकार को देता है ।

कृषि का सभी कार्य किसान अपनी इच्छा से करता है । इस प्रणाली की खेती सदैव ही श्रमिकों को अधिकतम रोजगार तथा अधिकांश व्यक्तियों को स्वतन्त्र रूप से जीविका प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है । इस प्रणाली की खेती से समाज में आत्मसम्मान की भावना तथा कृषि उपज में वृद्धि होती है और किसानों को भूमि के प्रति मोह की भावना भी बनी रहती है

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