गुलदाउदी की खेती

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  गुलदाउदी की खेती


संसार के अलंकृत फूल वाले पौधे में शायद गुलाब के बाद गुलदावदी ही सबसे प्रख्यात है । गुलादावदी की खेती लगभग 25,000 वर्ष से होती आ रही है । प्रजनन तथा चयन के द्वारा गुलदावदी के फूलों में बहुत अधिक विकास तथा परिवर्तन हुआ है । गुलदावदी के उत्पत्ति स्थानों , चीन , जापान , इंग्लैण्ड , फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में चयन तथा प्रजनन के द्वारा हजारों किस्में उत्पन्न की गई है इंग्लैण्ड के उद्यानों में गुलावदी की लगभग 3,000 किस्में उगाई जाती है । 

वर्गीकरण ( Classification ) 

गुलदावदी को दो प्रकार की जातियाँ होती है 
1. एकवर्षीय ( Annual ) 
2. बहुवर्षीय ( Perennial )

एकवर्षीय जातियाँ ( Annual Species ) 1.Chrysanthemum Segctum ( Corn Marigold ) - 

यह योरूष तथा इंग्लैण्ड की मूल निवासी जाति है । इसके पौधों की ऊंचाई 30-61 सेमी ० होती है । इसके फूल लगभग 5 सेमी . व्यास वाले होते तथा उनका पीला या सफेद रंग होता है । इसकी मुख्य किस्में निम्न है -
 ( i ) मॉर्निगस्टार ( Morming Star ) - फलों का रंग पीला तथा चाँकलेट रंग का केन्द्र 
( ii ) इवनिंग स्टार ( Evening Star ) - फूलों का रंग पीला तथा चाँकलेट रंग का केन्द्र
 ( iii ) इस्टेरन स्टार ( Eastern Star ) - फूलों का रंग पीला तथा चोकलेट रंग का केन्द्र 
( iv ) ब्लैन्कट ( Blanca ) - फलों का रंग सफेद
 ( v ) इलडोरो ( Eldordo ) - फूलो का रंग पीला 

इसकी द्विवक पुष्पीय ( Double flowered ) किस्में निम्न हैं
( i ) इशाबैल ( Isable ) - सफेद
 ( ii ) रोमियो ( Romeo ) - सुनहरी - पीला
 ( iii ) यौलो स्टोन ( Yellow Stone ) - गन्धकी - पीला


 2.Chrysanthemum coronarium ( Crown Daisy ) -

इसका मूल निवास दक्षिणी यूरोप है इसके पौधे 60-90 सेमी ० लम्बे , सुन्दरता से कटी पत्तियाँ तथा या पीले या सफेद रंग के फूल होते हैं । फूलों का 2.5-3.8 सेमी ० होता है । इनका केन्द्र क्रीम रंग का होता है । इसकी मुख्य किस्में निम्न हैंं -
1. Nivea- सफेद , single flowered
2. Orion- पीला , single flowered 
3. Tom Thumb Golden- सुनहरी - पीला , double flowered 
4. Tom Thumb - Prisrosc Gem- क्रीम रंग  

3. Chrysasnthemum carinatum ( Tri - Coloured Chrysanthemum ) -

यह सबसे अच्छी एक वर्षीय जाति है । इसका मूलनिवास ( native ) मोरक्कोंं है । इसके पौधे लगभग 60 सेमी ० लम्बे होते हैं। इसका फूल चमकदार रंग का होता है जिसका केन्द्र गहरे रंग का होता । इसके फूल सफेद , पीले , लाल , नारंगी , लोहित , आरक्त गुलाबी , बैंगनी आदि रंगों के संयोजन वाले होते हैं । इसके फूल में तीन रंगों का प्रभाव ( Triple Colour Effect ) होता है । इसकी मुख्य किस्मे निम्न हैंं -
1. Merry- संयोजित मिश्रित रंगों में 
2. Atrococcinum- आरक्त 
3. Exlipse- क्रीम 
4. Flammonspicl- महोगनी , ब्रोजन तथा पीला 
5. John Bright- पीला तथा गहरा - पीला 
6. Northern Star- सफेद , जिनका केन्द्र काला 
7. Snow - White- सफेद

बहुवर्षीय जातियाँ ( Perennial Species ) 

1. Chrysanthemum maximum ( Or - ge - Daisy ) -

इन पौधों की ऊंचाई 50-75 सेमी ० होती है । इनके फूलों का व्यास 6-7 सेमी ० होता है , उनका रंग सफेद होता है तथा केन्द्र पीला होता है । 

2. Chrysanthemum leucanthemum grandiflorum ( British Or - e - Daisy ) -

 इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 50 सेमी ० होती है इसके फूलो का व्यास 8 सेमी ० तथा फूलों का रंग सफेद होता है । 

3. Chrysanthemum frutescense ( White Paris Daisy ) -

 यह पौधो 50 सेमी ० लम्बा होता है । इसके एकल ( Single ) सफेद रंग के फूल होते हैं । Chrysanthemum की विभिन्न किस्मों के संयोग से बहुत किस्मे उत्पन्न की गई है । जैसा कि Shasta Daisy ( C. leucanthemum grandiflorum x C. maximura ) तथा , Floris Chrysanthemum ,
 ( C. horotum xc . indicum ) इस प्रकार से विकसित बहुवर्षीय ( perennial ) किस्मों को 8 मुख्य समूहों में रखा गया है । ये अग्र प्रकार हैंं -

1. Incurved- 

ये perfect ball के समान होती है । किस्में- Amnie curry , Duke of kent , Munument , Shirley Primrose Linella 

2. Reflesed-

इनकी पुष्पिका ( florets ) नीचे को ढली ( dropping ) होती है ।

 3. Japanese-

 ये ' double flowere ' होती है तथा सजावट के लिए उगाई जाती है । 

4. Anemone-

ये " single flowered " होती है तथा इसकी केन्द्रीय disc नालाकार ( tubular ) होती है । किस्मेंं- Grace Lind , Citrus queen , Rolinda , Beautiful Lady . 

5. Pompon

इसके बहुत छोटे फूल होते हैं । ये cut flowers के लिये अच्छी होती है । furth - White Bouquet , Jante Wells , Ethel 

6. Single

इनके फूलों में केन्द्रीय होती है तथा पाँच पुष्पिका ( Florest or my Morets ) होती है । किस्म- Broadacre , Clcone , Golden Scal , Artisti 

7. Koreans

इसमें single तथा double दोनों प्रकार की किस्में होती है । इनकी छोटी होती है । किस्में- Sunrise Korean , Golw , Caliphi 

8. Miscellaneous type-

 जैसे Spider इनकी पंखुड़ी ( petals ) में हुक होते हैं , spoon ( चम्मच के आकार की पंखुड़ी ( petals ) होती है ) , Rayonnants ( इनकी quilled petals होती है ) , cascade ( इनके छोटे single फूल होते है । ) 

प्रवर्धन ( Propagation ) 

गुलदावदी का प्रवर्धन तीन प्रकार से किया जाता है -
1. बीज ( Seed )
 2. विभाजन ( Division ) 
 3. कलम लगाना ( Cuting )

 1. बीज ( Seed )

गुलदावदी का प्रवर्धन बीज द्वारा आसानी से किया जा सकता है । हालांकि इसके बीज देर में अंकुरित होते हैं । बीजों को बरसात के अन्त में बमों ( hone ) सामान्य मात्रा में कम्पोस्ट डालकर बो दिया जाता है । जब बीजांकुर ( Seedling ) काफी बड़े हो जाते हैं , तो उन्हें अलग गमलों में लगा दिया जाता है 


2. विभाजन ( Division ) -

 मूल वन्त ( root stock ) का विभाजन ( division ) , गुलदावदी के प्रवर्धन का सबसे सरल ढंग है । सख्त किस्मो ( hardy varieties ) के लिए , मुख्यतः इस विधि का ही उपयोग किया जाता है । पुष्पन काल( Flowering season ) के अन्त में काटे गये पौधों की जड़ों को लेकर अलग - अलग भागों में , एक - एक अन्त : भूस्तरी ( Sucker ) सहित विभाजित कर लेते है इन्हें नरसरी में लगा दिया जाता है मई माह तक इनमें जड़े निकल आती है तथा स्तम्भ बनने लगता है इसके विभाजन करके टुकड़ों ( picces ) को दोबारा नरसरी या गमलों में लगा देते हैं इनसे उत्पन्न पौधों का अक्टूबर में क्यारियों ( beds ) या गमलो ( pots ) में प्रत्यारोपण ( transplantation ) कर दिया जाता है 

3. कलम लगाना ( Cuttings ) -

अच्छे पौधों की कमल लगना ( cuttings ) प्रवर्धन की सर्वोत्तम विधि है पुष्पन काल 
( flowering season ) के अन्त में भूमि से 6 इंच ऊपर से पौधों को काट दिया जाता है तथा गमलों को धूप में रख देते है । इससे पौधे के चारों ओर तने ( off shoots ) निकल आते हैं । इकना उपयोग कलम लगाने ( cutings ) के लिए किया जाता है । अच्छे स्वस्थ एवं शक्तिशाली स्तभों को कलम के लिए चुनना चाहिए । 1-4 इंच लम्बाई की कलम भूमि के पास की गांठ के नीचे से काट ली जाती है कलम के आधे भाग के ऊपर की पत्तियाँ रख ली जाती है । शेष पत्तियाँ तोड़ दी जाती हैं । इन्हें विशेष रूप से तैयार किये गये बक्सों 
( boxes ) में लगा दिया जाता है । 


कलम लगाने के लिए कम्पोस्ट ( Compost for cuttings ) 

2 भाग रेत ( Course sand ) 
1 भाग पत्तियों की खाद ( leaf mould )
 1 भाग मृदा ( soil )
 कलमों ( cuttings ) को एक इंच गहरे छेद में लगा दिया जाता है तथा उसके चारों ओर की मिट्टी दबा दी जाती है । भूमि नम रखी जाती है तथा रोपित कलमों को छाये में रखा जाता है लगभग एक माह में कलमो में जड़े निकल जाती है पौधे के स्थाई हो जाने पर गमलों में प्रत्यारोपण( transplantation ) के देते हैं ।

 
गमलों में लगाने की योजना ( Potting Programme)

कलमों ( cutings ) में जड़े निकलने के बाद पौधों का गमलो में प्रतिरोपण ( transplanting ) करते है । एक वर्ष में 3-4 बार गमलों में प्रतिरोपण किया जाता है । प्रत्येक बार पहले से अधिक उर्वर ( fertile ) कम्पोस्ट गमले में भरी जाती है । गमले में प्रतिरोपण करने बाद सूर्य के तेज प्रकाश से बचने के लिए छाया प्रदान करना आवश्यक होता है ।

प्रथम गमला ( Fint Potting ) -

 प्रथम गमला लगभग 3 इंच का होता है इसमें कलम में जड़े निकल आने के बाद फरवरी में लगाते है । इसकी कम्पोस्ट निम्न प्रकार होती है -
एक भाग मोटा रेत ( Courne sund )
 दो भाग पत्तियों की खाद ( leaf mould ) 
तीन भाग मृदा ( soil ) 
गमले में जड़ों को अच्छी प्रकार फैला देना चाहिए और मिट्टी को अच्छी प्रकार दबा देना चाहिये तथा पानी दे देना चाहिये । 

दूसरा गमला ( Second Potting ) - 

दूसरा गमला 4 या 5 इंच का होना चाहिये । इसमें अप्रैल या माह में प्रतिरोपण 
( transplanting ) किया जाता है । इसकी कम्पोस्ट निम्न प्रकार होती है -
एक भाग मोटा रेत ( coarse sand ) 
दो भाग पत्तियों की खाद ( leaf mould ) 
तीन भाग मृदा ( soil )
 इसमेंं पौधे का प्रतिरोपण करते समय चक्के 
( carth ball ) को नहीं तोड़ना चाहिये । पौधा लगाने के बाद मिट्टी अच्छी प्रकार दवाकर पानी देना चाहिये । 

तीसरा गमला ( Third Potting ) -

 लगभग जून में तीसरे 6 इच के गमले में प्रतिरोपण( transplanting ) किया जाता है इसकी कम्पोस्ट निम्न प्रकार होती है -
एक भाग मोटा रेत ( Coarse sand ) 
दो भाग पत्तियों को खाद  ( leaf mould ) 
तीन भाग मृदा ( soil ) 

अन्तिम गमला ( Final Potting ) - 

अन्तिम बाद अगस्त में 8 या 10 इंच के गमले में प्रतिरोपण किया जाता है । इसकी कम्पोस्ट निम्न प्रकार होती है -
एक भाग मोटा रेत coarse sand ) 
दो भाग पत्तियों की खाद ( leaf mould ) 
तीन भाग गोबर की खाद ( FY.M. ) 
चार भाग मृदा ( soil ) 
गमला भरते समय ऊपर से लगभग एक इंच खाली छोड़ देते है , जिससे जड़े बाहर आने पर उन्हें ढक दिया 
जाये । अब पौधों को फूल आने के लिए स्थाई रहने दिया जाता है । 


रोकना तथा कलियाँ तोड़ना ( Stopping and Disbudding ) 

अच्छे बड़े एवं सुन्दर फूल लेने के लिये गुलदावदी के पौधे को उचित समय पर रोकन ( stopping ) तथा कलिका तोड़ना 
( disbudding ) आवश्यक होता है । मई के अन्तिम सप्ताह जून के प्रथम सप्ताह में , जब पार्श्व शाखाये निकलने वाली हो , तो अन्तस्थ
 ( terminal ) कलिका ( bud ) को तोड़ देना 
( pinchd off ) चाहिये । जिससे पार्श्व शाखायेंं 
( Lateral branche) जिससे कि पार्श्व शाखाएं अधिक  विकसित होती हैं इस अवस्था में फूल आने के लिये शाखाओं की संख्या निश्चित कर देनी चाहिये । सामान्यतः प्रदर्शनी 
( exhibition ) के लिये एक तीन या छः फूल रखे जाते हैं । यदि पौधे को प्राकृतिक रूप में बढ़ने दिया जाता है तो पौधे के अन्तस्थ में पहली पुष्प कलिका आती है , इस कलिका को " breakbud " कहते हैं । सामान्यत : " break bud " को तोड़ दिया जाता है । “ Break bud " के नीचे निकलने वाली पार्श्व शाखाओं ( lateral branches ) के अन्तस्थ मे जो पुष्प कलिकायेंं आती हैं , उन्हें " Crown or First Crown Bud " कहते हैंं । इन पुष्प कलिकाओं को विकसित होने दिया जाता है तथा इनके पार्श्व में निकलने वाली कलियों को तोड़ दिया जाता है । 

First Crown Bud के पार्श्व शाखाओं के अन्तस्थ
 ( terminal ) पर जो पुष्प कलिकायें आती हैं उन्हें ' Second Crown कहते हैं । कभी - कभी * Second Crown ' कलिकाओं के फूल लिये जाते है । सामान्यतः ये फूल छोटे परन्तु चमकदार रंगों के होते है । 

द्वितीय पार्श्व शाखाओं ( secondary lateral branches ) 
के पार्श्व में जो पुष्प कलिकायें निकलती है , उन्हें " Terminal buds " कहते है । इसके बाद वृद्धि रुक जाती है । 
अधिकतर First या Second Crown Bud के फूल ही लिये जाते है शेष कलिकायें तोड़ दी जाती हैं । Formopons Singles , Koreans तथा Sprays में कलिकायें नहीं तोड़ी 
( No disbudding ) जाती है ।

    खाद ( Manure ) 

नत्रजन से वनस्पति वृद्धि अच्छी होती है , जबकि फॉस्फोरस से स्वस्थ मूल संस्थान ( root system ) विकसित होता है तथा पोटाश से स्वस्थ एवं शक्तिशाली तने  व फूलों का विकास होता है । गुलदावदी के पौधों को द्रव रूप में खाद देना अच्छे परिणाम देता है । 30-35 ग्राम अमोनियम सल्फेट दो गैलन पानी में मिलाकर जौलाई - अगस्त माह में पौधों को देना चाहिये । इस घोल का एक पौंंड प्रति पौधों के हिसाब से ही देना चाहिये । पुष्प कलियाँ निकलने के बाद अमोनियम सल्फेट की तरह से पोटेशियम सल्फेट का द्रव उर्वरक देना चाहिये । अन्तिम गमला भरते समय एक चम्मच सुपर फास्फेट प्रति गमले में मिला देना चाहिये । एक पौंंड गोबर की खाद एक गैलन पानी में मिलाकर चार - पाँच दिन तक रख देना चाहिये तथा इसके बाद प्रति सप्ताह फूलों की आधी खुली अवस्था तक इसे देते रहना चाहिये । 
पानी देना ( Watering ) - ग्रीष्मकाल में नये पौधों को जल्दी - जल्दी पानी देना चाहिये । वर्षा ऋतु में कम पानी की आवश्यकता पड़ती है । अधिक पानी देने से हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।



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